रावतपुरा खुर्द में दो महीने बाद खुला आंगनबाड़ी केंद्र, ग्रामीण महिलाओं का फूटा गुस्सा…
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर पोषाहार वितरण में घोर अनियमितता, लगे भेदभाव और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप।

कुलपहाड़ (महोबा)।महोबा जनपद के जैतपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत रावतपुरा खुर्द में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र जब दो महीने की लंबी बंदी के बाद खोला गया, तो गांव की महिलाओं का वर्षों से दबा आक्रोश फूट पड़ा आक्रोशित महिलाओं ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता देवंती पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र में पोषण वितरण में घोर लापरवाही, भेदभाव और भ्रष्टाचार हो रहा है, जिससे गांव की अधिकांश महिलाओं और बच्चों को उनका हक नहीं मिल रहा।
क्या बोले गांव के लोग?
ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र महीनों तक मनमर्जी से बंद रखा जाता है। जब कभी खोला भी जाता है तो सिर्फ चुनिंदा 20–25 लाभार्थियों को ही पोषाहार वितरण किया जाता है, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में 108 लाभार्थी दर्ज हैं। इनमें—
• 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चे – 44
• 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चे – 62
• गर्भवती और धात्री महिलाएं – 2
पात्र ग्रामीणों द्वारा लगाए गंभीर आरोप
• तीन-तीन महीने तक पोषाहार नहीं बांटा जाता।
• सूचना सिर्फ खास महिलाओं को दी जाती है, जिनसे कार्यकर्ता को शिकायत का डर होता है।
• बांटा गया पोषण गुणवत्ताहीन और नाममात्र का होता है – जैसे: साल भर में सिर्फ तीन बार 1 किलो चावल,गेहूं एक बार भी नहीं,1 किलो दलिया, 1 किलो चना दाल और 500 ग्राम रिफाइंड भी कई बार नहीं दिया गया।
• कई महिलाओं को आठ-आठ महीने से पोषाहार नहीं मिला।
• शिकायत करने पर लाभार्थियों के नाम हटाने की धमकी दी जाती है।
“हमारे बच्चों का हक छीना जा रहा है” – महिलाओं की पीड़ा
ग्रामीणों ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र का मकसद बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण देना है, लेकिन यहां पोषण की जगह पक्षपात और मनमानी बांटी जा रही है।
एक महिला ने बताया, “मेरे तीन साल के बच्चे का नाम सूची में है, लेकिन हमें आठ महीने से कोई सामग्री नहीं मिली। जब पूछो तो कहती हैं नाम ही नहीं है।”
प्रशासन से की जांच की मांग
महिलाओं ने एक स्वर में मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी कार्यकर्ता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
उनका कहना है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो गांव की महिलाएं प्रदर्शन और भूख हड़ताल के लिए बाध्य होंगी।
क्या कहता है सरकारी नियम?
आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत सभी लाभार्थियों को प्रत्येक माह गुणवत्तापूर्ण पोषाहार उपलब्ध कराना महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी है। ऐसी शिकायतें न सिर्फ योजनाओं की विफलता दर्शाती हैं, बल्कि ग्रामीण स्तर पर लाभार्थियों के साथ खुला अन्याय भी है।