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छतरपुर में जैन समाज द्वारा दुकान पर ताला लगाए जाने का मामला गरमाया, महिला दुकानदार धरने पर बैठी

रिपोर्ट-जे एन द्विवेदी

दुकान के बाहर धरने पर बैठी माँ,बेटी

छतरपुर (म.प्र.) छतरपुर शहर के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत जैन धर्मशाला में स्थित एक दुकान को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। वर्षों से यहां पर व्यवसाय कर रही महिला दुकानदार वर्षा चौरसिया के अनुसार, 25 मई को उनकी दुकान में जैन समाज के कुछ लोगों द्वारा जबरन ताला डाल दिया गया, जिससे उनके परिवार की आजीविका पर संकट आ खड़ा हुआ है।
वर्षा चौरसिया ने आज अपनी बंद दुकान के बाहर बैठकर धरना-प्रदर्शन शुरू किया और मांग की कि दुकान का ताला शीघ्र खोला जाए ताकि वह अपना व्यापार दोबारा शुरू कर सकें। मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि जैन समाज के रौनक जैन, संतोष जैन, स्वदेश जैन और सुशांत जैन द्वारा यह कार्रवाई की गई।

वर्षा चौरसिया की दुकान में डला ताला

क्या है विवाद की जड़?
वर्षा चौरसिया का कहना है कि उनकी दुकान के ऊपर की मंज़िल से बार-बार पानी उनके दुकान के गेट पर डाला जा रहा था, जिसका उन्होंने विरोध किया। इसी बात से नाराज होकर जैन समाज के कुछ लोग उनके खिलाफ हो गए और दुकान खाली कराने की बात कहने लगे। वर्षा ने आरोप लगाया कि बिना किसी पूर्व सूचना या वैध प्रक्रिया के जबरन दुकान में ताला लगा दिया गया।

अरुण जैन (जैन समाज अध्यक्ष)

जैन समाज की प्रतिक्रिया
वहीं दूसरी ओर, जैन समाज के अध्यक्ष अरुण जैन ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि उक्त महिला द्वारा जैन समाज की गुरु माता और सेवादार के साथ दुर्व्यवहार किया गया तथा डंडा लेकर मारने की कोशिश भी की गई, जिससे पूरे समाज में रोष फैल गया। समाज ने स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण होने से बचाने के लिए अस्थाई रूप से दुकान में ताला लगाया है।
अरुण जैन ने यह भी कहा कि जैन समाज इस विवाद को शांति से सुलझाना चाहता है और जल्द ही समाधान की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।

स्थानीय लोगों में भी चर्चा का विषय
घटना के बाद से स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या किसी सामाजिक संस्था को किसी व्यक्ति की रोज़ी-रोटी पर ऐसे ताला जड़ने का अधिकार है? वहीं प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि अब तक इस मामले में कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं हुई है।

अब सबकी निगाहें प्रशासन पर
फिलहाल वर्षा चौरसिया का धरना जारी है और वे न्याय की मांग कर रही हैं। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों पर अड़े हुए हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस संवेदनशील मामले में क्या रुख अपनाता है और कैसे समाधान निकालता है।

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