वट सावित्री व्रत पर चरखारी में उमड़ी सुहागिनों की आस्था
सोमवती अमावस्या पर पीपल पूजन कर मांगी परिवार की सुख-समृद्धि की कामना
चरखारी (महोबा): ज्येष्ठ अमावस्या के शुभ अवसर पर सोमवार को वट सावित्री व्रत एवं सोमवती अमावस्या का संयोग होने से चरखारी नगर में विशेष धार्मिक उल्लास देखने को मिला। बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में वटवृक्ष की विधिवत पूजा-अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु और सुखद दांपत्य जीवन की कामना की।

सुबह से ही नगर के विभिन्न धार्मिक स्थलों तथा मंदिर परिसरों में स्थित वटवृक्षों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। विशेष रूप से श्री बटुक भैरवनाथ मंदिर परिसर में स्थित वटवृक्ष के पास श्रद्धालु महिलाओं ने बड़ी आस्था और भक्ति भाव के साथ व्रत पूजा संपन्न की। उन्होंने वटवृक्ष की परिक्रमा करते हुए सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण किया और यमराज से सत्यवान के प्राण वापस लाने वाली सावित्री की दृढ़ पतिव्रता श्रद्धा से प्रेरणा ली।
धार्मिक मान्यता है कि वटवृक्ष में त्रिदेव — ब्रह्मा, विष्णु और महेश — का वास होता है। व्रती स्त्रियों ने निर्जला उपवास रखते हुए इस दिन पति की लंबी उम्र की कामना के साथ पूजा की। यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।
वहीं सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग होने के कारण पीपल वृक्ष की पूजा का भी व्यापक महत्व रहा। पीपल को समस्त देवताओं का निवास स्थल माना गया है। महिलाओं ने 108 बार पीपल की परिक्रमा कर परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना की।
मान्यताओं के अनुसार, जो श्रद्धालु हर अमावस्या को पीपल वृक्ष की परिक्रमा नहीं कर पाते, उनके लिए सोमवती अमावस्या का दिन अत्यंत पुण्यकारी होता है। इस दिन 108 वस्तुओं की भंवरी देकर गौरी-गणेश का पूजन किया जाता है, जिससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।नगरवासियों ने इस अवसर पर व्रत-पूजन, कथा-वाचन एवं वृक्ष पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में उत्साहपूर्वक भाग लिया और दिनभर आध्यात्मिक वातावरण बना रहा।