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जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पहुंची सुप्रीम कोर्ट की कमेटी, कैशकांड के खोलेगी राज!

सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली HC के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर 4-5 बोरों में जला हुआ कैश बरामद हुआ था, जिसके बाद HC के चीफ जस्टिस ने इसकी इन-हाउस जांच कराई थी. बाद में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट एक कमेटी बना दी.

Jusitce Yashwant Varma: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी. इस कमेटी में शामिल जज जांच के लिए जस्टिस वर्मा के घर मंगलवार (25 मार्च) को पहुंचे. ये कमेटी जज यशवंत वर्मा के घर पर मिले बड़ी मात्रा में कैश के मामले की जांच करेगी.

कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर होगा एक्शन

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने पहले ही इस मामले की इन-हाउस जांच की थी. उन्होंने कहा था कि इस मामले की गहरी जांच होनी चाहिए. इसके बाद भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन जजों की कमेटी बनाई थी. ये कमेटी आरोपों की जांच के बाद सीजेआई को रिपोर्ट देगी. इस रिपोर्ट के आधार पर चीफ जस्टिस आरोपी जज यशवंत वर्मा को लेकर फैसला लेंगे.

इस कमेटी में कौन-कौन शामिल?

देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के CJ शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के CJ जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की अनु शिवरामन की कमेटी बनाई, जिसे कैशकांड की जांच की जिम्मेदारी दी गई है.

जस्टिस वर्मा के घर आग लगने के बाद हुआ था खुलासा

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवासीय बंगले में आग लगने के बाद बड़ा खुलासा हुआ था. उनके घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ था. इस घटना के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया था. इसको लेकर संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने हंगामा किया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने इस मामले में एक्शन लेते हुए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक बुलाई, जिसमें जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में करने का फैसला लिया.

इलाहाबाद HC बार एसोसिएशन की मांग- महाभियोग चलाया जाए

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जब जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की तो इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर महाभियोग की मांग की. बार एसोसिएशन ने कहा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ सीबीआई और ईडी को मामला दर्ज करने की अनुमति दी जाए.

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